प्रेम रस सिद्धांत: ये किताब आपको सोचने पर मजबूर कर देगी(जगद्गुरु कृपालु महाराज)
जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा लिखी गयी इस किताब में विज्ञान से लेकर अध्यात्म तक और दर्शनशास्त्र से लेकर तर्क के हर पहलू पर रोचक ढंग से बात की गयी है। मुझे आज भी याद है, जब मैं सात-आठ साल का था और गर्मी की छुट्टियों में अपनी नानी के घर गया था। वहाँ मेरी ही उम्र के एक लड़के ने मुझसे ये दो सवाल पूछे - “हम कौन हैं?” और “हम दुनिया में क्या करने आये हैं?”। उस समय तो ये बात मज़ाक में आयी-गयी हो गयी पर आज दशकों बाद भी ये सवाल उतने ही प्रासंगिक लगते हैं। मैं कई साल इसी उधेड़बुन में रहा। सैकड़ों दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ने के बाद भी मेरी शंकाओं के समाधान के बजाय मैं अलग-अलग सिद्धांतों के जाल में उलझता चला गया, और बुरी तरह भ्रमित हो गया। फिर अध्यात्म में रुचि रखने वाले मेरे एक मित्र ने मेरे 25वें जन्मदिन पर मुझे ' प्रेम रस सिद्धांत ' नाम की एक किताब भेंट की। इस पुस्तक की रचना पाँचवें मूल जगद्गुरु, जगद्गुरु कृपालु महाराज ने की थी। बाबाओं पर मेरा विश्वास कभी रहा नहीं, इसलिए वो किताब कई दिनों तक मेरे पास पड़ी धूल खाती रही पर मैंने उसे पढ़ने का मन नहीं बनाया। एक दिन ख...