श्री कृपालु जी महाराज की पवित्र धरोहर: गुरुधाम भक्ति मंदिर

 

भक्ति मन्दिर, प्रेम मन्दिर, कीर्ति मन्दिर ये तीन मंदिर तो हमारे गुरुवर, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदान की गयी अनमोल धरोहर है, परन्तु जहाँ के काल-कण में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की स्मृतियों साकार स्वरूप में विराजमान हैं, वो है भक्ति धाम की पवित्र धरा पर भक्ति मन्दिर के ठीक सामने स्थापित गुरुधाम भक्ति मंदिर

सफेद इटैलियन करारा मार्बल से निर्मित इस भव्य स्मारक का प्राण प्रतिष्ठा समारोह व उद्घाटन दिनांक १३, १४ व १५ मार्च २०२१ को जगद्‌गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों सुश्री विशाख्या त्रिपाठी जी, सुत्री श्यामा त्रिपाठी जी एवं सुश्री कृष्णा त्रिपाठी जी की उपस्थिति व मार्गदर्शन में सम्पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न हुआ।

गुरु धाम का शिलान्यास १० मई २०१४ को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों द्वारा सम्पन्न हुआ। १७ जुलाई २०१६ को मन्दिर के शिखर पर कलश स्थापना का भव्य समारोह धूमधाम से सम्पन्न हुआ।

गुरुधाम मन्दिर के उ‌द्घाटन हेतु सम्पूर्ण कृपालु ग्राम की भव्य ढंग से सुसज्जित किया गया, जिसकी छवि अनुपमेय थी। द्वार पर विशाल कलश, तोरण, आदि की शोभा देखते ही बनती दी। मन्दिर के पट खुलने के शुभ दिन जब यहाँ एक भव्य लाइट शो का आयोजन किया गया, तब मन्दिर को कण-कण जीवन्त लगने लगा, ऐसा लगा ही नहीं कि इस मन्दिर का निर्माण पत्थर आदि से हुआ है।

इस अद्भुत स्मारक की दिव्यता देखते ही बनती है, तीन गुम्बदाकार रखना वाले इस मन्दिर में मध्य में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज परमहंस स्वरूप में दर्शन दे रहे हैं, वहीं दायीं ओर जगद्‌गुरु सिंहासन पर विराजमान है-जगद्‌गुरु श्री कृपालु महाप्रभु और बाँबी ओर श्री महाररून जी अपनी धर्म पत्नी मों प‌द्मा देवी के साथ विराजमान हैं।

दिनांक १३ मार्च २०२१ को समस्त तीथों के जल को कलश में भरकर मन्दिर की परिक्रमा की गयी, पश्चात् पचित्र तीर्थों के जल से मन्दिर प्रक्षालन किया गया। गुरुयान रूपी इस दिव्य आध्यात्मिक पुंज की भव्य परिक्रमा दिनांक १४ मार्च २०२१ को सम्पन्न हुयी। हृदय में अपने गुरुवर की स्मृतियों को रख भक्तों ने इस दिव्य गुरुधाम की परिक्रमा की। दिनांक १५ मार्च २०२१ को विश्व के पंचम मूल जगद्‌गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों ने दीप प्रज्वलन करने के उपरान्त मन्दिर का पट खोलकर उद्‌घाटन किया तत्पश्चात् श्रीगुरुवर के श्रीविग्रह का महाभिषेक सम्पन्न हुजा। मन्दिर उद्घाटन के उपलक्ष्य में हज़ारों गुब्बारों को आकाश में उड़ाकर सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश दिया गया।

मन्दिर में चारों ओर राधे नाम अंकित है, यह वो मूलमंत्र है जिसे श्रीमहाराज जी ने सम्पूर्ण विश्व को प्रदान किया है। मन्दिर की दीवारों पर उकेरी गयी अ‌द्भुत कीर्तन मण्डली तो मानो ये संदेश दे रही है कि कलियुग में भगवान् के नाम, रूप, लीला, गुण, घामादि का संकीर्तन ही भवरोग की औषधि है और प्रभुचरणों में प्रेम बढ़ाने वा एकमात्र उपाय है। मन्दिर के प्रत्येक द्वार पर गजराज की विशाल प्रतिमाये है, जो पुष्ण पकड़े हुये हैं, इन्हें देखकर सहसा ही पुराणों में वर्णित उस कथा की झाँकी सामने आ जाती है, जब आर्त भाव से गजेन्द्र ने सरीवर का पुष्प अपनी ट्रैंड से उठाकर प्रभु को समर्पित करते हुये स्वयं को भी उनके श्रीचरणों में समर्पित कर दिया था। गुरुधाम के द्वार पर विद्यमान ये गजराज भी मानी ये संदेश दे रहे हों कि भक्ति मार्ग में प्रवेश करना है तो स्वयं को प्रभुचरणों में समर्पित कर दो।

कृपालु धाम में स्थापित गुरु धाम मंदिर अनन्त काल तक संसार को ईश्वर भक्ति, गुरु भक्ति का संदेश प्रदान करता रहेगा और इसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों को जिन्होंने संसार को गुरु थाम रूपी दिव्य साधनास्थली प्रदान की है। जगद्‌गुरु इतिहास में ही नहीं वरन् महापुरुषों के इतिहास में भी ये प्रथम बार है कि उनकी सुपुत्रियों ने अपने पिता के जीव कल्याण के कार्यों में सहयोग देने के साथ ही उनके संकल्पों को संसार के समक्ष साकार रूप प्रदान किया।

उन्होंने न केवल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की लीला संवरण स्थली को एक भव्य मन्दिर का स्वरूप प्रदान किया वरन् उनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप यह लीला संवरण स्थली एक भव्य मन्दिर का रूप धारण कर दिव्यता के ऐसे पुंज के रूप में स्थापित हो गयी है, जिससे युग-युगान्तर तक भगवद् मार्गावलम्बी साधक जन मागदर्शन प्राप्त करेंगे।

निष्कर्ष:
गुरुधाम भक्ति मंदिर न केवल एक भव्य स्मारक है, बल्कि यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत भी है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की स्मृतियों को सजीव रखने के साथ ही, यह मंदिर ईश्वर और गुरु भक्ति का अनुपम संदेश प्रसारित करता है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों के अथक प्रयासों और मार्गदर्शन से स्थापित इस मंदिर ने भक्तों के लिए एक दिव्य साधनास्थली के रूप में अपनी पहचान बनाई है। गुरुधाम भक्ति मंदिर, भक्ति मार्ग के साधकों को युग-युगांतर तक मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता रहेगा, और संसार को ईश्वर और गुरु भक्ति का महत्व समझाता रहेगा।

Comments

Popular posts from this blog

Experience Divine Bliss: Stream Online Amazing Sankirtans by Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

The Divine Wisdom of Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj: A Guru Beyond Mantras

Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj: A Source of Inspiration for Spiritual Growth