मनोहारी झाँकियाँ: श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं श्री राधाष्टमी महोत्सव पर जगद्गुरु कृपालु परिषत् के आश्रमों में सजाई गईं विभिन्न झाँकियाँ
अजन्मा जनमेड ब्रज महें आय।
इस झाँकी में कृष्ण जन्म का अतीव ही सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया है। सर्वप्रथम कारावास में भगवान् श्री कृष्ण ने वसुदेव एवं देवकी को अपने चर्तुभुज रूप में दर्शन दिये पश्चात् छोटे से शिशु बनकर जन्म लिया। जन्म लेते ही कारागार के समस्त द्वार खुल गये एवं समस्त पहरेदार भी गये। वसुदेव जी छोटे से गोपाल को भीषण वर्षा में यमुना पार कर गोकुल ले जा रहे हैं। माँ यमुना ठाकुर जो के चरण परखारने हेतु अपना जलस्तर लगातार बढ़ा रही हैं। शेषनाग भी प्रभु की वर्षा से रक्षा कर रहे हैं। वसुदेव जी ठाकुर जी को माता यशोदा के निकट सुलाकर योगमाया को अपने साथ ले आये हैं।
द्वार इक योगी 'अलख' पुकार।
भगवान् शंकर का बाल योगी बनकर छोटे से कनौया के दर्शन हेतु माता यशोदा के द्वार पर जाना एवं नन्दलाल के दर्शन की याचना करना। मैया द्वारा अपने लाल के दर्शन करवाने की अत्यन्त हो रमणीक झाँको का चित्रण किया है।
नीको लागे मैया कर खायें ग्रास श्याम।
भोले भाले सजीले गोपाल मैया की गोद में बैठे हैं। नन्हें नन्हें हाथों में छोटी सी मुरली है। मैया के एक हाथ में माखन का कटोरा है एवं दूसरे हाथ में मैया अपने लाला को माखन का थोड़ा-थोड़ा ग्रास खिला रही हैं। इस झाँकी में वात्सल्य प्रेम का अनूठा चित्रण परिलक्षित होता है।
नीको लागे मैया सुलावे गोद श्याम।
भोले भाले छोटे से सलोने श्यामसुन्दर का मैया की गोद में सीना एवं मैया द्वारा लाला को अपने आँचल में छुपाकर होले होले सुलाने की वात्सल्य प्रेम से परिप्लुत झाँको का चित्रण किया गया है।
भोर भड़ जागो सुंदर श्याम।
मैया द्वारा छोटे से कान्हा को जगाने की झाँकी का बड़ा अद्भुत चित्रण किया गया है। छोटे से यशुदानंदन सो रहे हैं एवं मैया उन्हें जगा रही हैं। सलोने श्याम के अलसाने नैन एवं नोंद से युक्त छवि को देखकर मैया कान्हा के भाल पर दितौना लगा जो है।
कान्ह को पकर्यो हलधरन कान।
रूठे हये कन्हैया को दाऊ प्रेम पूर्वक मना रहे हैं, उनके लिये एक हाथ में माखन लाये हैं और दूसरे हाथ से कन्हैया का कान पकड़ कर प्रेम पूर्वक उन्हें रिझा रहे हैं। इस झाँकी में भातृ प्रेम का बड़ा हो सुन्दर चित्रण दिखाया गया है।
नवनि हित झगरत दोउ सुखधाम।
इस झाँकों में बलदाऊ एवं कन्हैया द्वारा मैया में माखन माँगने का बड़ा ही सुन्दर दृश्य दिखाया है। मैया माखन बना रही हैं एवं छोटे से कन्हैया मैया की ठोड़ी पकड़े हुए हैं एवं बलदाऊ भैया पीछे से मैया की चुटिया खींच कर कह रहे हैं मैया माखन दे दो।
निष्कर्ष:
इन मनोहारी झाँकियों के माध्यम से जगदगुरु कृपालु परिषत् के आश्रमों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं श्री राधाष्टमी महोत्सव के पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विविध सुंदर और भावपूर्ण प्रसंगों का अत्यंत सजीव और मनोरम चित्रण किया गया है। प्रत्येक झाँकी दर्शकों को भगवान के बाल-लीलाओं के विभिन्न अद्भुत क्षणों का अनुभव कराते हुए भक्ति और श्रद्धा से ओतप्रोत करती है। इस आयोजन के माध्यम से भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधा रानी की लीला-कथाओं से जुड़ते हैं और उनके दिव्य जीवन से प्रेरणा पाकर अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं। ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हमें हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों की ओर प्रेरित करते हैं और समाज में प्रेम, करुणा और सद्भावना का संचार करते हैं।
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